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Korea

जुबली वर्ष 2014 की आशीष में जीवन के वसंत पर्व

  • Nation | कोरिया
  • Datum | 13. April 2014

फसह के पर्व की पवित्र सभा
मसीह के मांस और लहू के द्वारा उनके साथ एक देह बनें


ⓒ 2014 WATV
दुनिया भर में सिय्योन के लोगों के द्वारा, जो उत्सुकता से जीवन के पर्व का इंतजार कर रहे थे, फसह का पर्व मनाया गया। वह और भी अधिक अर्थपूर्ण था क्योंकि उसे जुबली के वर्ष में आयोजित किया गया था। इसके कारण सदस्य जो पर्व मनाने के लिए इकट्ठे हुए थे, वे वसंत में खिले हुए फूलों से अधिक खुबसूरत और उज्ज्वल दिख रहे थे।

जुबली के विशेष वर्ष में ‘2014 फसह के पर्व की पवित्र सभा’ को कोरिया के बुंदांग में स्थित नई यरूशलेम मंदिर सहित दुनिया भर के 175 देशों में करीब 2,500 चर्चों में 13 अप्रैल की शाम(पवित्र कैलेंडर के अनुसार पहले महीने के चौदहवां दिन) को मनाया गया।

फसह के पर्व की पवित्र सभा पैर धोने की विधि की आराधना के साथ शाम 6 बजे शुरू हुई, और शाम 7 बजे फसह के पवित्र भोज की आराधना के साथ जारी रही।

ⓒ 2014 WATV
आराधना के दौरान माता ने पिता परमेश्वर को धन्यवाद दिया कि उन्होंने अपने मांस और लहू से जीवन के पर्व को स्थापित करके अपनी संतानों को अनन्त जीवन मुफ्त में प्रदान किया। इन विपत्तियों से भरे युग में फसह का पर्व मनाने वाले लोगों पर से विपत्तियों को पार करवाने के लिए, माता ने बार बार पिता को धन्यवाद दिया। माता ने पिता से यह विनती की कि सारी मानवजाति फसह का पर्व मना सकें ताकि वे विपत्तियों से बच सकें और सदा का जीवन पा सकें। माता ने पिता से यह भी विनती की कि उनकी सभी संतान पर्व के मूल्य को समझें और उसे कृतज्ञ मन से पूर्ण रूप से मनाएं ताकि अनन्त जीवन पाने के लिए उनमें किसी भी चीज की कमी न रहे।

पैर धोने की विधि की आराधना के दौरान प्रधान पादरी किम जू चिअल ने यीशु के वचन और कार्य के द्वारा, और पुराने नियम के इतिहास के द्वारा इस विधि के महत्व पर जोर दिया। यीशु ने कहा, “यदि मैं तुझे न धोऊं, तो मेरे साथ तेरा कुछ भी साझा नहीं,” और अपने चेलों के पैर धोए। और पुराने नियम में याजक पवित्रस्थान में प्रवेश करने से पहले पीतल की हौदी में अपने हाथ पांव धोता था ताकि वह न मरे।(यूह 13:1–10; निर्ग 30:17–21)

और फसह के पवित्र भोज की आराधना में, सदस्यों ने फसह के मूल्य को स्मरण करते हुए पर्व में शामिल परमेश्वर की आशीष की फिर से पुष्टि की। जब हम फसह का पर्व मनाते हैं, तब हम विपत्तियों से बच सकते हैं और खुद को मूर्तिपूजा करने से रोक सकते हैं क्योंकि सभी दूसरे देवता नष्ट होते हैं। इससे हम अनन्त जीवन और उद्धार की आशीष पूरी तरह धारण कर सकते हैं।(निर्ग 12:11–14; भजन 91:7–14; यश 43:1–3) क्योंकि फसह के पर्व में यह महान आशीषें शामिल हैं, इसलिए क्रूस की पीड़ा का क्षण करीब आने पर भी यीशु के मन में फसह मनाने की बड़ी लालसा थी, लेकिन दुष्ट शैतान ने फसह का पर्व नष्ट करने के लिए नाना प्रकार के उपाय किए।

प्रधान पादरी किम जू चिअल ने पर्व पर जोर देते हुए फिर से कहा, “अनिश्चित भविष्य में अनन्त जीवन की गारंटी पाने का एकमात्र तरीका है; वह फसह का पर्व मनाना है।” उन्होंने सदस्यों को उन सभी लोगों को इस महत्वपूर्ण सत्य का जल्दी से प्रचार करने के लिए प्रोत्साहित किया जो इसके बारे में नहीं जानते, ताकि हम सब आनन्दित जीवन जी सकें और अनन्त स्वर्ग के राज्य की ओर आगे बढ़ सकें।

पैर धोने की विधि और फसह के महत्व को फिर से महसूस करते हुए, सदस्यों ने पवित्र और भक्तिमय मन से फसह के पर्व की पवित्र सभा की सभी विधियों में भाग लिया, और परमेश्वर को धन्यवाद और महिमा दी।

फसह का पर्व
फसह का पर्व वह पर्व है, जिसके द्वारा विपत्ति हमें छोड़कर गुजर जाती है। यह पर्व पवित्र कैलेंडर के अनुसार पहले महीने के चौदहवें दिन गोधूलि के समय मनाया जाता है।

यह वह दिन था जब 3,500 वर्ष पहले इस्राएली मेमने के लहू के द्वारा विपत्ति से बचाए गए और मिस्र देश से छुड़ाए गए जहां वे 400 वर्षों तक गुलाम रहे थे। फसह के दिन परमेश्वर ने सारी विपत्तियों से इस्राएलियों को बचाने का वादा किया और इस्राएलियों को आज्ञा दी कि वे हर वर्ष उस दिन को सदा की विधि के रूप में पर्व करके मानें।(निर्ग 12:1–14)

2,000 वर्ष पहले क्रूस पर चढ़ाए जाने से एक दिन पहले गोधूलि के समय, यीशु ने वादा किया कि फसह की रोटी मसीह का मांस है और फसह का दाखमधु मसीह का लहू है। इसलिए फसह के पर्व के द्वारा, मानव जाति यीशु के मांस और लहू से दर्शाए गए फसह की रोटी और दाखमधु खाकर और पीकर अंतिम विपत्तियों से सुरक्षित हो सकती है और अनन्त जीवन पा सकती है।(यूह 6:53–58; मत 26:17–19, 26–28)

यीशु, उनके चेले और प्रथम चर्च के सभी संतों ने फसह का पर्व मनाया।(मत 26:17; 1कुर 11:23–26) लेकिन 325 ई। में सम्राट कॉनस्टॅन्टीन के द्वारा आयोजित निकेआ परिषद् में फसह का पर्व पूरी तरह से मिटा दिया गया था, और उसके बाद 1,600 वर्षों तक नहीं मनाया गया। लेकिन बाइबल की भविष्यवाणियों के अनुसार परमेश्वर ने स्वयं फसह के पर्व को फिर से स्थापित किया, जिससे दुनिया भर में केवल चर्च ऑफ गॉड 50 वर्षों से फसह का पर्व पवित्रता से मना रहा है।(यश 25:6–9)


ⓒ 2014 WATV


अख़मीरी रोटी के पर्व की पवित्र सभा
पीड़ाओं के द्वारा फिर से पुष्टि करें कि हम मसीह के साथ एक देह हैं


फसह के पर्व के अगले दिन, 14 अप्रैल(पवित्र कैलेंडर के अनुसार पहले महीने का पंद्रहवां दिन) को, दुनिया भर में चर्च ऑफ गॉड के सभी सदस्यों ने एक मन से ‘2014 अख़मीरी रोटी का पर्व’ मनाया और मसीह के प्रेम और बलिदान को स्मरण किया।

सदस्य जिन्होंने पिछले दिन फसह की रोटी खाकर और फसह का दाखमधु पीकर अनन्त जीवन की आशीष में भाग लिया, उन्होंने फसह के दिन की आधी रात से लेकर अख़मीरी रोटी के पर्व के दिन के दोपहर 3 बजे तक, यानी यीशु की मृत्यु होने के समय तक, उपवास करके मसीह के दुख को स्मरण किया।

ⓒ 2014 WATV
अख़मीरी रोटी के पर्व में, माता ने स्वर्गीय पिता को धन्यवाद दिया जिन्होंने मृत्युदण्ड के योग्य पापियों के पापों की मजदूरी चुकाने के लिए स्वेच्छा से अपना जीवन दे दिया और चुपचाप क्रूस के दर्द और पीड़ा को सहन किया। जो दुष्ट शैतान की बुरी योजना के द्वारा गायब हो गए फसह को पुनस्र्थापित करने के लिए दूसरी बार शरीर में आए और महान पीड़ा के मार्ग पर चले, उन पिता के अथाह प्रेम और अनुग्रह के लिए माता ने फिर से धन्यवाद दिया। इसके अलावा, माता ने पिता से विनती की कि उनकी संतान जिन्होंने पर्व के अर्थ को पूरी तरह समझकर उसे मनाया, वे सिर्फ पापों की क्षमा न पाएं लेकिन दुष्ट शैतान की बाधाओं और सतावों के विरुद्ध विजय भी प्राप्त करें ताकि वे स्वर्गीय राज्य में अनन्त खुशी व आनन्द पा सकें।

सुबह और दोपहर की आराधना के द्वारा, प्रधान पादरी किम जू चिअल ने अख़मीरी रोटी के पर्व में शामिल परमेश्वर की इच्छा और आशीष के बारे में उपदेश दिया।

भले ही परमेश्वर सर्वशक्तिमान और सर्वज्ञ हैं, फिर भी उन्होंने पापियों के लिए सभी प्रकार के अपमानों और क्रूस की पीड़ा को चुपचाप सहन किया। ऐसे उदाहरण दिखाने में परमेश्वर की यह गहरी इच्छा निहित है कि उनकी संतान भी उनके दुखों के नक्शेकदम पर चलें। प्रधान पादरी किम ने कहा, “पीड़ा जिसका हम सुसमाचार का प्रचार करते समय सामना करते हैं, एक आवश्यक तत्व है, जिसके पीछे स्वर्गीय आशीष और पुरस्कार आते हैं।” उन्होंने सदस्यों को परमेश्वर की ऐसी संतान बनने के लिए प्रोत्साहित किया जो मसीह के उदाहरण का पालन करके, सुसमाचार का कार्य करते हुए होनेवाली पीड़ाओं को चुपचाप पार करने के द्वारा परमेश्वर से प्रशंसा पाएंगी।(1पत 2:19; रो 8:12–24; फिलि 1:27–29; 1थिस 2:1–8; 2थिस 1:6–10; मत 5:10–12)

प्रधान पादरी किम ने कहा, “अख़मीरी रोटी के पर्व में उपवास रखना मसीह के दुख में सहभागी होना है, और यह फिर से पुष्टि करने का तरीका है कि हम फसह की रोटी खाने और दाखमधु पीने के द्वारा मसीह के साथ एक देह बने हैं।” और उन्होंने यह कहते हुए सदस्यों को अधिक विश्वास और सामर्थ्य प्राप्त करने के लिए प्रेरित किया कि, “जब कभी विश्वास के पूर्वजों के पास कठिनाइयां होती थीं, वे उन्हें मसीह के चिन्ह के रूप में मानते थे। वे निडरता से उनसे लडे. और आनन्द से विजय हुए। जब हम दुखों का छिलका उतारेंगे, तो उनके अंदर आशीष का फल होगा। आइए हम ऐसे रवैए के साथ सुसमाचार के लिए कार्य करें।”(1पत 4:12, 16–19; 1पत 5:10–11; भजन 119:67–71; 2कुर 4:7–10)

किसी ने कहा कि जब हम कठिनाई पर काबू पाएंगे, तो वह हमारा विजयी कैरियर बन जाएगा। सदस्यों ने अपने मनों पर इन वचनों को अंकित किया, “यदि भला काम करके दुख उठाते हो और धीरज धरते हो, तो यह परमेश्वर को भाता है,”(1पत 2:20) और सुसमाचार का कार्य करते हुए होनेवाले सभी कष्टों और दुखों को पार करके अपने आत्मिक कैरियर सुदृढ़ करने का संकल्प लिया, ताकि वे मसीह, प्रेरित पौलुस और पतरस, और अय्यूब की तरह कार्य करके परमेश्वर को प्रसन्न कर सकें।

अख़मीरी रोटी का पर्व

अख़मीरी रोटी का पर्व दुख का पर्व है। यह पर्व पवित्र कैलेंडर के अनुसार पहले महीने के पंद्रहवें दिन मनाया जाता है, और यह उन दुखों को दर्शाता है जो यीशु मसीह ने क्रूस पर उठाए।

इस्राएली मेमने के लहू के द्वारा फसह का पर्व मनाकर विपत्ति से बचाए गए और मिस्र से छुड़ाए गए थे, लेकिन उसके बाद मिस्री सैनिकों ने इस्राएलियों का पीछा किया, और उन्होंने लाल समुद्र पार करने तक दुखों का अनुभव किया।(निर्गमन का 14वां अध्याय; लैव 23:6) इससे अख़मीरी रोटी का पर्व उत्पन्न हुआ। यह पर्व इस तरह से पूरा हुआ: यीशु ने चेलों के साथ नई वाचा का फसह का पर्व मनाया, और उसी रात उन्हें पकड़वाया गया, और उन्होंने कठोर यातना और सताव का सामना किया। उसके अगले दिन रोमन सैनिकों से वह अपमानित किए गए और क्रूस पर कष्टपूर्ण मृत्यु हो गई।

पुराने नियम के समय में, इस्राएलियों ने कड़वे सागपात और अख़मीरी रोटी(इसमें ख़मीर नहीं होता, ‘दुख की रोटी’ कहलाती है) खाते हुए परमेश्वर का अनुग्रह और उन दुखों को स्मरण किया जो उन्होंने मिस्र से निकलने के समय उठाए थे।(निर्ग 12:17–18; व्य 16:3) नए नियम के समय में, “परन्तु वे दिन आएंगे जब दूल्हा उनसे अलग किया जाएगा; उस समय वे उपवास करेंगे।”(मर 2:20) इस वचन के अनुसार हम उपवास करने के द्वारा मसीह के दुखों में सहभागी होते हैं।


पुनरुत्थान के दिन की पवित्र सभा
जीवन के पुनरुत्थान के साथ स्वर्ग के राज्य के लिए कदम आगे बढ़ाएं


अख़मीरी रोटी के पर्व के बाद पहले सब्त का अगला दिन(रविवार) पुनरुत्थान का दिन है। इस वर्ष वह दिन 20 अप्रैल पर हुआ। इस दिन यीशु मसीह के पुनरुत्थान को स्मरण करने के लिए, दुनिया भर में पूरे चर्च ऑफ गॉड में पुनरुत्थान के दिन की पवित्र सभा आयोजित की गई।

ⓒ 2014 WATV
पुनरुत्थान के दिन की पवित्र सभा में, माता ने पिता परमेश्वर को धन्यवाद दिया जिन्होंने पापियों को बचाने के लिए क्रूस के सभी दर्दों को सहा और अपनी मृत्यु के तीन दिनों बाद जी उठकर सारी मानवजाति को पुनरुत्थान की जीवित आशा रखने की अनुमति दी। माता ने आग्रहपूर्वक प्रार्थना भी की कि परमेश्वर की संतान समेत संसार के सभी लोग मसीह के पुनरुत्थान में सहभागी हो सकें और अनन्त जीवन में पहुंच सकें।

दक्षिण कोरिया में नौका हादसे के शिकार लोगों और पीड़ित परिवारों की अकथनीय व्यथा सुनकर माता का दिल पसीज गया, और वह अपने गहरे दुख नहीं छुपा सकीं। उन्होंने मृतकों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त की और लापता लोगों की सुरक्षित वापसी की आशा की। माता ने इच्छा जताई कि पुनरुत्थान के दिन की आशीष और चमत्कार उन पर घटित हो। माता ने यह भी प्रार्थना की कि उनकी सभी संतान आत्मिक बचाव दल के रूप में अपने कर्तव्य पूरा करते हुए जल्दी से सुरक्षित शरण सिय्योन में लोगों का नेतृत्व करें।

प्रधान पादरी किम जू चिअल ने सुबह की आराधना के दौरान सदस्यों को पुनरुत्थान के दिन की शुरुआत और अर्थ समझाया। दोपहर की आराधना की दौरान, उन्होंने पुराने नियम के प्रथम फल के पर्व और नए नियम के पुनरुत्थान के दिन के बीच के संबंध के बारे में उपदेश दिया; मृत्यु की जंजीरों में जकड़ी मानवजाति को अनन्त जीवन के पुनरुत्थान का दृढ़ विश्वास और आशा देने के लिए यीशु सोए हुए लोगों के प्रथम फल के रूप में मुर्दों में से जी उठे।(निर्ग 14:1–31; मत 28:1–8; लैव 23:9–14; 1कुर 15:20–23) और उन्होंने यह कहते हुए यीशु का पुनरुत्थान और योना का चिन्ह बताया, “थोड़े समय की पीड़ा के बाद, अनन्त महिमा होगी। इसलिए कठिनाइयों में भी निराश न हो। आइए हम ठीक मसीह की तरह स्वर्ग के राज्य की ओर लगन से चलें जिन्होंने अंधकार के अधिकार को नष्ट कर दिया और पुनर्जीवित हुए।”(मत 12:38–40)

पादरी किम ने कहा, “जीवन के पुनरुत्थान के लिए जी उठने के लिए, हमें जीवन का जल पीना चाहिए जो आत्मा और दुल्हिन देते हैं। आइए हम आत्मा और दुल्हिन को स्वर्ग के राज्य का मार्ग खोलने के लिए इस पृथ्वी पर जीवन का जल लेकर आने के लिए धन्यवाद दें, और लोगों को यह सत्य जल्दी से फैलाकर उन्हें जीवन के पुनरुत्थान में सहभागी होने दें।”(प्रे 24:13–15; प्रक 22:17) और उन्होंने कहा, “जैसे योना और यीशु तीन दिन तक अंधकार में रहने के बाद जी उठे और लोगों को नई आशा दी, वैसे ही मैं आशा करता हूं कि सिवोल नामक बड़ी नौका से लापता लोग सुरक्षित रूप से वापस आएं और निराशा से भरे परिवारों और देशों को आशा और खुशी दें।”

यीशु के चेलों ने रोटी खाई थी जो यीशु ने तोड़ी थी, और मसीह को पहचाना था। उसी तरह सदस्यों ने भी इस आशा के साथ कि उनकी आत्मिक आंखें पूरी तरह से खुल जाएं, यीशु और उनके चेलों के उदाहरण के अनुसार रोटी खाई और पवित्रता से पुनरुत्थान का दिन मनाया। आराधना के बाद, सदस्यों ने पुनरुत्थान के दिन की रोटी को परमेश्वर के प्रेम के साथ, जो सभी लोगों को बचाना चाहते हैं, अपने पड़ोसियों को वितरित करके, पर्व की आशीष और पुनरुत्थान की जीवित आशा बांट ली।

पुनरुत्थान का दिन

पुनरुत्थान का दिन उन यीशु की बड़ी सामर्थ्य को स्मरण करने का दिन है, जो मृत्यु और अन्धकार के अधिकार को तोड़कर अपनी मृत्यु के तीन दिनों बाद जी उठे। प्रतिवर्ष यह अख़मीरी रोटी के पर्व के बाद, पहले सब्त के दिन के अगले दिन, यानी रविवार को मनाया जाता है।

जब मिस्री सैनिकों ने इस्राएलियों का पीछा किया और उन्हें तनाव व आतंक में डाल दिया, परमेश्वर ने इस्राएलियों को अपने संरक्षण में लेकर उनकी सुरक्षित रूप से लाल समुद्र पार करने में सहायता की। जैसे ही इस्राएली समुद्र के पार गए, पानी अपने उचित तल तक लौटा, और मिस्री सेना जो इस्राएलियों का पीछा कर रही थी, डूबकर नष्ट हो गई। जिस दिन इस्राएली लाल समुद्र से भूमि पर उतरे उस दिन से प्रथम फल का पर्व उत्पन्न हुआ जो परमेश्वर के तीन बार में सात पर्वों में से एक है।

पुराने नियम के समय में, सब्त के दिन के दूसरे दिन(रविवार), याजक पहले फलों का एक पूला परमेश्वर के सामने हिलाता था कि वह ग्रहण किया जाए। यीशु इस प्रथम फल के पर्व में ‘सोए हुओं में से पहले फल’ के रूप में मृतकों में से जी उठे। जैसे इस्राएली परमेश्वर को पहले फलों का एक पूला अर्पण करने के द्वारा नए अनाज खा सकते थे, वैसे ही मानव जाति, जो मृत्यु में पड़ गई, यीशु मसीह के पुनरुत्थान के द्वारा पुनरुत्थान में सहभागी होकर स्वर्ग में प्रवेश कर सकती है।(लैव 23:9–14; 1कुर 15:20; मत 27:50)

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